Ekadashi kab hai | एकादशी कब है?


आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम जानेंगे कि Ekadashi kab hai | एकादशी कब है और इसकी वैज्ञानिकता के बारें में जानेंगे।

 

एकादशी कब है?

भारतीय संस्कृति में एकादशी का महत्व अत्यंत उच्च है। हिंदू धर्म में एकादशी का पावन दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष दिन होता है। इस दिन विष्णुजी की विशेष उपासना की जाती है जिससे भक्ति और शुद्धता का लाभ होता है।

 

एकादशी दो शब्दों से मिलकर बना होता है, “एक” और “दशी”। “एक” अर्थात् एक, और “दशी” अर्थात् दस होता है। अर्थात्, एकादशी हर महीने के दूसरे या तीसरे दिन को कहते हैं।

 

एकादशी का महत्व

 

एकादशी व्रत में विशेष ध्यान विष्णु भगवान की भक्ति में लगाया जाता है। इस व्रत में सभी तरह के अन्न एवं नैवेद्य त्याग कर ध्यान और विशेष पूजा के माध्यम से भगवान की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की अराधना करने से मनुष्य के दुखों का नाश होता है और उसे सुखी जीवन प्राप्त होता है।

 

एकादशी व्रत के पीछे का वैज्ञानिक तथ्य

वैज्ञानिक तथ्य के अनुसार, चंद्रमा के परिक्रमण के कारण पृथ्वी पर समय-समय पर अतिरिक्त उत्तान और अधोन्नति होती है। ये उत्तान और अधोन्नति बार-बार होने से शरीर में अस्थायी रूप से तनाव बढ़ता है, जो अन्त में बीमारी के रूप में प्रकट होता है।

 

एकादशी व्रत के दौरान अन्न त्याग करने से शरीर में तनाव कम होता है और मन शांत होता है। इसलिए, एकादशी व्रत के दौरान शरीर और मन दोनों को शुद्ध करने का लाभ होता है।

 

एकादशी की तारीखें

एकादशी की तारीखें हिंदू पंचांग के अनुसार होती हैं। इस व्रत को हर महीने के दूसरे या तीसरे दिन मनाया जाता है। निम्नलिखित हैं कुछ महत्वपूर्ण एकादशी तिथियां:

 

  • पारणा एकादशी – 20 मार्च 2023
  • मोहिनी एकादशी – 4 अप्रैल 2023
  • अक्षय तृतीया एकादशी – 19 अप्रैल 2023
  • वरूथिनी एकादशी – 3 मई 2023
  • नरसिंह जयंती एकादशी – 17 मई 2023
  • जया एकादशी – 2 जून 2023
  • विजया एकादशी – 16 जून 2023
  • देवशयनी एकादशी – 1 जुलाई 2023
  • कामिका एकादशी – 15 जुलाई 2023
  • श्रावण कृष्ण एकादशी – 30 जुलाई 2023
  • अजा एकादशी – 13 अगस्त 2023
  • पद्मिनी एकादशी – 28 अगस्त 2023
  • परिवर्तिनी एकादशी – 12 सितंबर 2023
  • इन्दिरा एकादशी – 27 सितंबर 2023
  • पापांकुशा एकादशी – 11 अक्टूबर 2023
  • रामा एकादशी – 26 अक्टूबर 2023
  • उत्थान एकादशी – 9 नवंबर 2023
  • प्रबोधिनी एकादशी – 24 नवंबर 2023

इस तरह, हर महीने दो एकादशी तिथियां होती हैं। ये व्रत अपनाकर हम स्वस्थ और स्वस्थ मन के साथ साथ ईश्वर के प्रति आदर्श भावना भी बनाए रख सकते हैं।

 

 

 

 

 

इन एकादशी तिथियों का महत्व बहुत उच्च होता है। इनमें से कुछ एकादशी तिथियां बहुत शुभ मानी जाती हैं। इन एकादशी तिथियों पर विभिन्न धर्मों के लोग व्रत रखते हैं। इन एकादशी तिथियों पर व्रत रखने से मन और शरीर दोनों ही स्वस्थ रहते हैं। व्रत रखने से शरीर के सारे अंग साफ, सुथरे और स्वस्थ रहते हैं।

 

एकादशी व्रत करने से हमारे शरीर में दोषों की मात्रा कम होती है और हमारा मन शांत होता है। यह हमें आंतरिक शांति और तनाव से मुक्ति प्रदान करता है। एकादशी व्रत का महत्व हमारी संस्कृति में बहुत ऊँचा माना जाता है। इसे आज भी लोग अपनाते हैं और इसे धार्मिक आयोजनों का भी हिस्सा मानते हैं।

 

आपने इस लेख में एकादशी के महत्व के बारे में पढ़ा। एकादशी व्रत रखने से हमारी शारीरिक और मानसिक सेहत बनी रहती है। इसे आज भी लोग अपनाते हैं और इसे धार्मिक आयोजनों का भी हिस्सा मानते हैं। इस व्रत को अपनाकर हम अपने आप को स्वस्थ रख सकते हैं और आंतरिक शांति प्राप्त कर सकते हैं। अगर आप भी एकादशी व्रत का पालन करना चाहते हैं तो आपको इसके बारे में जानकारी होनी चाहिए। आप इस लेख में दिए गए तारीखों के अनुसार अपने व्रत का पालन कर सकते हैं। इस तरह से आप एकादशी व्रत का पालन करके अपनी सेहत को स्वस्थ रख सकते हैं और अपने मन को भी शांत कर सकते हैं।

 

एकादशी व्रत रखने से पहले आपको ध्यान देने की जरूरत होती है कि इस व्रत में आपको क्या खाने की अनुमति है और क्या नहीं। एकादशी व्रत में आपको अनाज और दाल का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा आप अन्य तरल पदार्थों का सेवन कर सकते हैं। व्रत में सुबह उठकर आपको स्नान करना चाहिए और पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा आप ध्यान करने और जप माला के साथ मन्त्रों का जाप करने से भी इस व्रत का फल मिलता है।

 

अगली एकादशी तिथि 22 मार्च 2023 को है। इस एकादशी को पारण मुहूर्त 06:44 से 08:57 तक है। इस तारीख को व्रत करने से आप अपनी सेहत को स्वस्थ रख सकते हैं और आंतरिक शांति प्राप्त कर सकते हैं। इसके बाद अगली एकादशी 6 अप्रैल 2023 को होगी। इस एकादशी को वैष्णवों की वामन जयंती भी कहा जाता है। इस एकादशी का पारण मुहूर्त 06:09 से 08:23 तक है।

 

इसके बाद अगली एकादशी 22 अप्रैल 2023 को होगी। इस एकादशी को मोहिनी एकादशी भी कहा जाता है। इस एकादशी का पारण मुहूर्त 05:49 से 08:05 तक है।

 

एकादशी का पालन करने से आपकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और आप अपनी चिंताओं से मुक्त हो जाते हैं। इस दिन को सफलता के लिए भी खास माना जाता है। एकादशी व्रत को वैष्णवों में बहुत अहमियत दी जाती है और वे इसे धार्मिक तथा आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्व देते हैं।

 

इस तरह से एकादशी व्रत का पालन करने से आप न केवल अपनी सेहत को स्वस्थ रख सकते हैं बल्कि अपने मन को भी शांत कर सकते हैं। आपको इन तारीखों के अनुसार अपने व्रत का पालन करना चाहिए और इसे ध्यान द्वारा जागृत करने का प्रयास करें। इन व्रतों के द्वारा हम अपने जीवन को एक और दिशा दे सकते हैं जो हमें शांति, स्वास्थ्य, सफलता और आंतरिक सुख देती है। आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि एकादशी व्रत के दौरान आपको खाने-पीने में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए और आपको पूर्ण रूप से भोजन नहीं करना चाहिए। एकादशी व्रत के दौरान आप खाने-पीने से वंचित रहें और शुद्ध वातावरण में ध्यान द्वारा अपने मन को शांत करें।

 

एकादशी व्रत के बारे में जानकारी होना आवश्यक है जो हमारे धार्मिक और सामाजिक जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हमें एकादशी को धार्मिक व्रत नहीं मानना चाहिए बल्कि इसे आध्यात्मिक तथा शांति के लिए एक साधन के रूप में देखना चाहिए। एकादशी के व्रत का पालन करने से हम अपने शरीर और मन को स्वस्थ रखते हैं और आंतरिक शांति प्राप्त करते हैं। इसलिए हमें एकादशी के व्रत को नियमित रूप से पालना चाहिए ताकि हम अपने जीवन को ध्यान और आध्यात्मिकता की दिशा में ले जा सकें।

 

एकादशी के व्रत के दौरान हम अपने मन को शुद्ध और शांत रखते हैं जो हमें सफलता और खुशी के लिए आवश्यक होता है। इसलिए यदि आप एकादशी के व्रत का पालन करना चाहते हैं, तो आपको अपने मन को शुद्ध और शांत रखने के लिए सबसे पहले तैयार होना होगा।

 

एकादशी के व्रत का पालन भारत में बहुत लोकप्रिय है और यह सभी धर्मों में पालन किया जाता है। इस व्रत को करने से हम अपने जीवन में आगामी खुशियों और सफलता को आमंत्रित करते हैं। इस व्रत को पालन करने से हम अपने मन को शुद्ध करते हैं, जो हमें आनंद और शांति का अनुभव करने में मदद करता है। इसलिए हमें एकादशी के व्रत को नियमित रूप से पालना चाहिए ताकि हम अपने जीवन को सफलता, स्वस्थता और आंतरिक शांति के लिए आगे बढ़ा सकें।

 

 

 

 

 

Details of the following

  • पारणा एकादशी –
  • मोहिनी एकादशी –
  • अक्षय तृतीया एकादशी –
  • वरूथिनी एकादशी –
  • नरसिंह जयंती एकादशी –
  • जया एकादशी –
  • विजया एकादशी –
  • देवशयनी एकादशी –
  • कामिका एकादशी –
  • श्रावण कृष्ण एकादशी –
  • अजा एकादशी –
  • पद्मिनी एकादशी –
  • परिवर्तिनी एकादशी –
  • इन्दिरा एकादशी –
  • पापांकुशा एकादशी –
  • रामा एकादशी –
  • उत्थान एकादशी –
  • प्रबोधिनी एकादशी –

पारणा एकादशी – पारणा एकादशी व्रत का अंतिम दिन होता है। यह एकादशी का व्रत रखने वालों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है जो इस व्रत का पूरा उपवास करते हुए रहते हैं। इस दिन व्रत के अंत में भोजन करने से व्रत समाप्त होता है।

 

मोहिनी एकादशी – मोहिनी एकादशी भगवान विष्णु के श्रद्धालुओं द्वारा मनाया जाता है। यह एकादशी चैत्र शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। मोहिनी एकादशी का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। यह एकादशी व्रत का पालन करने से भगवान विष्णु हमारी समस्याओं से मुक्ति प्रदान करते हैं।

 

अक्षय तृतीया एकादशी – अक्षय तृतीया एकादशी को परशुराम जयंती या अखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। यह एकादशी चैत्र माह के शुक्ल पक्ष को मनाया जाता है। इस दिन धर्मिक कार्यों का किया जाता है जैसे दान-धर्म, यज्ञ-हवन और पुण्य कर्म आदि।

 

वरूथिनी एकादशी – वरूथिनी एकादशी को वासंती एकादशी भी कहा जाता है

 

 

 

 

 

पद्मिनी एकादशी –

पद्मिनी एकादशी को भी कमला एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह एकादशी फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष को मनाई जाती है। इस एकादशी का उद्यापन मुंबई में किया जाता है और यहां कई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस एकादशी को भगवान विष्णु के लिए विशेष महत्व होता है और इस दिन उन्हें पूजन किया जाता है। यह एकादशी उत्तम पुण्य काल मानी जाती है जिससे अनेक पापों से मुक्ति मिलती है।

 

परिवर्तिनी एकादशी –

परिवर्तिनी एकादशी श्रावण माह के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु के लिए पूजा की जाती है। इस एकादशी को मनाने से पापों से मुक्ति मिलती है और यह सुख समृद्धि का संदेश देती है।

 

इन्दिरा एकादशी –

इन्दिरा एकादशी को अपराह्न काल में मनाया जाता है। यह एकादशी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और इस दिन उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रत रखा जाता है। यह एकादशी शुक्ल पक्ष की होती है और भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के बाद मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी पाप दूर होते हैं और विष्णु लोक में जाने का मार्ग स्पष्ट हो जाता है। यह एक बड़ा त्योहार होता है जो संपूर्ण भारत में मनाया जाता है। यह एकादशी असाधारण शक्तियों वाली होती है। इस दिन किसी भी काम को करना शुभ नहीं माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से समस्त दुःखों से मुक्ति मिलती है। यह एकादशी मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष में पड़ती है।

 

पापांकुशा एकादशी – पापांकुशा एकादशी शुक्ल पक्ष की एकादशी होती है जो कार्तिक माह में मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी पाप दूर होते हैं। यह एकादशी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है और इस दिन विशेष रूप से पूजा और दान करने से लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह एकादशी भी विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस एकादशी का नाम पापांकुशा है क्योंकि इस दिन पापों से मुक्ति मिलती है। यह एकादशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है।

 

रामा एकादशी – यह एकादशी रामायण में उल्लेखित है। इस एकादशी को मनाने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। इस एकादशी का नाम भगवान राम के नाम पर रखा गया है। इस एकादशी का महत्व बहुत अधिक है। यह एकादशी अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है।

रामा एकादशी शुक्ल पक्ष की एकादशी होती है और चैत्र माह में मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी पाप धुल जाते हैं।

उत्थान एकादशी – 

उत्थान एकादशी का व्रत वैष्णव समुदाय में बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है। इस एकादशी को तुलसी विवाह के दिन के रूप में भी जाना जाता है। यह एकादशी अक्टूबर या नवंबर महीने में पड़ती है। इस दिन श्रीहरि के नामों का जप और ध्यान करना बहुत फलदायी माना जाता है। इस एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य के पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

प्रबोधिनी एकादशी:

प्रबोधिनी एकादशी को उत्तरायण काल में मनाया जाता है और यह हिन्दू कैलेंडर में कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और लोग व्रत रखते हैं।

 

प्रबोधिनी एकादशी को विशेष रूप से तुलसी विवाह के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन लोग तुलसी की मूर्ति को विवाह करते हैं और तुलसी का पूजन करते हैं। तुलसी का पूजन हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण होता है।

 

प्रबोधिनी एकादशी को उत्तरायण काल में मनाने का कारण है कि इस समय देवताओं की नींव मजबूत होती है। इसलिए, इस दिन का व्रत रखने से लोगों को सभी प्रकार की समृद्धि, समृद्धि और खुशहाली प्राप्त होती है।

 

इस एकादशी के दिन लोग स्नान करते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। व्रत रखने वाले लोग इस दिन केवल एक बार भोजन करते हैं। वे इस दिन गाय के दूध, दही, घी, आटे के लड्डू आदि ख

 

 

प्रबोधिनी एकादशी –

प्रबोधिनी एकादशी को देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह के रूप में भी जाना जाता है। यह एकादशी नवंबर या दिसंबर महीने में पड़ती है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की उत्थान के सम्बंध में कहानी सुनाई जाती है और उसकी पूजा की जाती है। इस दिन कुछ लोग एकादशी व्रत से विचलित हो जाते हैं इसलिए यह एकादशी प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जानी जाती है।

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